नगांव से रवीन्द्र शाह की रिपोर्ट
नगांव जिला असमिया साहित्य सम्मेलन की एक सभा खागरीजान महाविद्यालय में आयोजित किया गया।इसमें विशिष्ट शंकरी कला संस्कृति के साधक, शोधकर्ता डॉ. संजीव बरकाकती ने भाग कहा कि नई पीढ़ी को शंकरदेव के विशाल व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए अध्ययन करना होगा।नगांव के उच्च शिक्षा के प्राणकेंद्र स्वरूप खागरीजन महाविद्यालय के सभागार में आयोजित श्रीमंत शंकरदेव की साहित्यिक चर्चा सभा में विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. संजीव बरकाकती उपस्थित थे।
नगांव जिला असमिया साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में नगांव के खागरीजन महाविद्यालय के असमिया विभाग के सहयोग से और कलंगपार महिला शाखा के बैनर तले श्रीमंत शंकरदेव की साहित्यिक चर्चा सभा आयोजित की गई। असमिया साहित्य सम्मेलन के नगांव जिला शाखा के अध्यक्ष और विशिष्ट साहित्यकार डॉ. ऋषेश्वर ठेंगाल शैकिया की अध्यक्षता में आयोजित सभा का शुभारंभ निजरा बोरा के घोषा और करवी शैकिया के एक बरगीत से हुई।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित असमिया साहित्य सम्मेलन के राज्य अध्यक्ष, शंकर अध्ययन के विशिष्ट शोधकर्ता डॉ. मुकुल चक्रवर्ती ने गुरु चरित्र पर विस्तार से मंथनशील भाषण दिया। एक अन्य वक्ता बढ़मा महाविद्यालय के असमिया विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अच्युत शैकिया ने शंकरदेव के जीवन आदर्श पर गीत और संगीत के साथ एक सुंदर भाषण दिया।
कार्यक्रम में द्विजेंद्र नाथ हजारिका ने कविता पाठ किया, डॉ. श्यामली ने बरगीत की एक कली गाई, ममणि शर्मा भट्टाचार्य ने भक्तिमूलक एक गीत और बिरिंची बोरा ने गीत प्रस्तुत किया। हरिणाक्षी हजारिक ने एक दर्शननिय नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध किया।असमिया साहित्य सम्मेलन नगांव जिला शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कृष्ण बोरा की उपस्थिति में आज के कार्यक्रम में साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में प्रकाशित 'माहिली' नामक त्रैमासिक पत्रिका (संपादक मुकुल बोरा) विमोचन खागरीजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रमेश चंद्र नाथ ने किया।